एक अनन्त रेगिस्तान में
तपना पड़ता है
एक अथाह तिमिर सागर
लाँघना पड़ता है
एक पाषाणी सभ्यता में
पिसना पड़ता है
अगर इंसान भूल जाये
अपने भीतर का दीया जलाना
2008
एक अनन्त रेगिस्तान में
तपना पड़ता है
एक अथाह तिमिर सागर
लाँघना पड़ता है
एक पाषाणी सभ्यता में
पिसना पड़ता है
अगर इंसान भूल जाये
अपने भीतर का दीया जलाना
2008