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भूख / राजीव रंजन

मैंने सड़क किनारे
किसी औरत को
मुट्ठी भर धान पत्थर
से कुटते हुए देखा।
जो शायद बगल
के खेत में कटते
समय गिरे होंगे
वहीं से वह उसे
चुन लायी होगी
अपने भूखे बच्चे
की भूख मिटाने को।
शायद बगल के ही
किसी झोपड़ी में उसका
बच्चा भूख से कहरता
होगा, कलपता होगा
और शायद ठंड से
किकुड़ता भी होगा।