Last modified on 27 जुलाई 2019, at 01:07

भूख के बच्चे / सुभाष राय

कचरे से प्लास्टिक बीनती
पारो झुक गई थी जवानी में ही
सूरज सातवाँ बच्चा था उसका
जन्मते ही लुढ़क गया था धूल में

नहीं जानती बाक़ी छह कहाँ हैं, हैं भी या नहीं
सूरज को भी रोक पाएगी, पता नहीं
भूख की आग में जलकर
भस्म हो गई है उसकी ममता
निचुड़ गया है उसका मातृत्व
यह सूरज आख़िरी नहीं होगा उसकी कोख से
अब मौत के साथ ही ख़त्म होगा यह सिलसिला