चिरौंकी गाँव में बारह साल का
एक बच्चा भूख से मर गया...
अलग-अलग रोल में
बुद्धिजीवी, पत्रकार, समाजसेवक
चिरौंकी गाँव में डेरा डालने लगे
सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने लगे...
अख़बार में रोज ख़बरें आने लगीं...
कैसे भरे हुए अनाज गोदामों के बावजूद
एक बच्चा...भूख से मर गया...
हुक्मरान तड़फड़ाए...
आनन-फानन में जाँच कमिटी बनी
घटना स्थल रवाना हुई,
तुरत-फुरत रिपोर्ट पेश हुई कि
मरहूम बच्चे के घर के आँगन में
पपीते का एक पेड़ है
भला उसके होते बच्चा
भूख से कैसे मर सकता है...?
तुरंत डॉक्टरी रिपोर्ट हुई
बच्चा भूख से नहीं अपितु
पेट ख़राब होने से मरा...
चलो...अब सब ठीक है...
बच्चा...भूख से नहीं मरा...।