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भूत / अज्ञेय

 
तुम्हें अपनी धनी हवेली में
भूतों का डर सता रहा है।
मुझे अपने झोंपड़े में
यह डर खा रहा है
कि मैं कब भूत हो जाऊँगा।

सिकन्दरा-आगरा, 14 अगस्त, 1968