भूलि जिन जाय मन अनत मेरो।
रहौं निशि दिवस श्री वल्लभाधीश पद-कमल सों लाग, बिन मोल को चेरो॥
अन्य संबंध तें अधिक डरपत रहौं, सकल साधन हुंते कर निबेरो।
देह निज गेह यहलोक परलोक लौं, भजौं सीतल चरण छांड अरुझेरो॥
इतनी मांगत महाराज कर जोरि कैं, जैसो हौं तैसो कहाऊं तेरो।
'रसिक सिर कर धरो, भव दुख परिहरो, करो करुणा मोहिं राख नेरो॥