जब घोंघे आते हैं
घर का नमक चुराने
मैं बतलाना भूल जाती हूँ
नमक जो बंद है शीशियों में
उनका उनसे कौन सा रिश्ता पुराना है
कृष्ण की मज़ार पर चादर हरी सजी है
मरियम के बुर्क़ें में सलमा सितारा है
अल्लाह के मुकुट में मोर बँधे है
नानक के सिर पर नमाज़ी निशान है
लोग कहते हैं —
मैं भूल जाती हूँ
कौन सी रेखाएं कहाँ खींचनी है!
मैं आजकल बाजार से दृश्य लाती हूँ
समेट कर आँखों में
भूल जाती हूँ ख़र्च कितना किया समय?
झोली टटोलती उंगलियों को
आँखों के सौदे याद नहीं रहते
मैं पढ़ता जाती हूँ
वह अनपढ़ा रह जाता है
मैं लिखता जाती हूँ
वह मिटता जाता है
खिड़की के पास महबूब की छत है
मैं झाँकना भूल जाती हूँ
वह रूठ जाता है
मैं भूल जाती हूँ
चार तहों के भीतर इश्क़ की चिट्ठियाँ छिपाना
आज जब पढ़ रहे थें बच्चे वे कलाम
तो कल की वह आँधी
और मेरी खुली खिड़कियाँ याद आयी
अब तलक क़लम की निब तर है
काग़ज़ भीगा है
मैं भूल गयी
कल बारिश के साथ नमी आयी थी