Last modified on 4 अक्टूबर 2012, at 10:00

भूषन भूषित दूषन हीन प्रवीन / तोष

भूषन भूषित दूषन हीन प्रवीन महारस मैं छबि छाई.
पूरी अनेक पदारथ तें जेहि में परमार्थ स्वारथ पाई.
औ उकतें मुकतै उल्ही कवि तोष अनोषभरी चतुराई.
होत सबै सुख की जनिता बनि आवति जौं बनिता कविताई.