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भूस्खलन / तादेयुश रोज़ेविच

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हम भू-स्खलन के शिकार हैं
चट्टानों पत्थरों गिटटयों ढेलों के

आप कह सकते हैं कि कवियों ने
पत्थर फेंक-फेंक कर कविता को मार डाला है
शब्दों के

सिर्फ हकलाता हुआ
बेचारा देमोस्थीनीज्ञ ही
ढेलों का सही इस्तेमाल कर पाया
उन्हें अपने मुँह में भर कर रूपांतरित करता हुआ
तब तक जब तक वह लहूलुहान नहीं हो गया

आख़िर वह दुनिया का एक धुरंधर वक्ता
एक नामी लफ्फाज़ बना

पुनश्च :
अपनी यात्रा के आरंभ में
मैं भी पत्थर से टकराया था

(बिल जॉन्सन के अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर )