गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 4 अप्रैल 2014, at 15:43
भोग मोक्ष इच्छा पिशाचिनी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
चर्चा
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
हनुमानप्रसाद पोद्दार
»
पद-रत्नाकर / भाग- 3
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
भोग-मोक्ष-इच्छा पिशाचिनी जब तक करती मन में वास।
तब तक पावन दिव्य प्रेम का कभी न होता तनिक विकास॥