भोर भोर
आएल छी बूलि
भोरे भोर अएल छी धङि
क’ आएल छी अनुभव
पुलकित होइत छइ रोम रोम
स्पर्शक प्रतापेँ कोना कोना
भोर भोर
पैरक दुहू तरबाह ग‘ह ग‘ह द’ने
आएल छी पोबि
माधो आकाशक हेमाल ओस
भोर भोर
आएल छी बूलि
दुबिआही लॉनमेँ
भोर भोर
आएल छी बूलि
भोरे भोर अएल छी धङि
क’ आएल छी अनुभव
पुलकित होइत छइ रोम रोम
स्पर्शक प्रतापेँ कोना कोना
भोर भोर
पैरक दुहू तरबाह ग‘ह ग‘ह द’ने
आएल छी पोबि
माधो आकाशक हेमाल ओस
भोर भोर
आएल छी बूलि
दुबिआही लॉनमेँ