काटेगा सुख यहाँ कैसे
पथ को निपट अकेले।
आओ जग के दुखों से
कुछ पल संग में लेलें।
है सुख की यही सफलता
कि सब में वह बँट जाए।
किरन भोर की जागे;
तो अँधियारा छँट जाए।
काटेगा सुख यहाँ कैसे
पथ को निपट अकेले।
आओ जग के दुखों से
कुछ पल संग में लेलें।
है सुख की यही सफलता
कि सब में वह बँट जाए।
किरन भोर की जागे;
तो अँधियारा छँट जाए।