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भोली इच्छाएं-2 / अनूप सेठी

लौकी बन लटकूं
मुदगर सी लंबी हो या हंडिया
फर्क नहीं पड़ता
दिल की बीमारी में बाबा कोई
रस निचोड़ के पिलवा दे या
अंतस को खाली करके
तार पर सुर तान करके
इकतारा बन बाजूं
कड़ियल हाथों में साजूं.