प्यार का चरमोत्कर्ष
दैहिक एकीकरण
अर्धनारीश्वर पूजन
प्रसाद के दो बूँद
बीज तैयार करते हैं
कई कुमुदिनी
जो सरोवर की शोभा बनतीं
नहीं देख पातीं
इस दुनिया कि धूप
रौंद दी जाती हैं
निर्ममता से
खिलने के पहले ही
जातक कमल की चाह में
प्रश्न तो उठता है
कि ऐसे नर-पिशाच
जो नहीं समझते
जीवन का चक्र
आख़िर क्यूँ होते हैं
अभिसरित?