Last modified on 31 जुलाई 2008, at 13:54

मंज़र कितना अच्छा होगा / शहरयार

मैं सुबह सवेरे जाग उठा

तू नींद की बारिश में भीगा, तन्हा होगा

रस्ता मेरा तकता होगा

मंज़र कितना अच्छा होगा।