बिलोड़ लेने दो समय को
हमारा जीवन-घट;
अलग हो जाने दो
एक एक अवयव।
भँवर की तरंगों पर झूलता हुआ
जो श्रृंग तक पहुँचेगा,
मंथन रुकने पर
वही हमारे द्रव्य की पहचान बनेगा।
बिलोड़ लेने दो समय को
हमारा जीवन-घट;
अलग हो जाने दो
एक एक अवयव।
भँवर की तरंगों पर झूलता हुआ
जो श्रृंग तक पहुँचेगा,
मंथन रुकने पर
वही हमारे द्रव्य की पहचान बनेगा।