क्या करें क्या न करें
मंथन करना चाहिए
समय रहते जन को
चिंतन करना चाहिए
मन में कहीं आ जाय
आलस्य अगर तो
हर बंदे को इसका
ऽंडन करना चाहिए
असपफलता कहीं
यार को लगे हाथ तो
घर में छिप-छिप कर
कीर्तन करना चाहिए
जग उपहास करेगा
नहीं साथ देगा
कह मन से अब
कर्म का चंदन करना चाहिए।