बहुत चालाक और मक्कार था
वो आदिम विद्वान
जिसने मकड़ी को अपना आदर्श चुना,
और हमारी बुद्धि के इर्द-गिर्द
एक जाल बुना।
हमें दे दिया
एक काल्पनिक महाशक्ति का
गलत पता,
और हम तलाशते, तलाशते, तलाशते रहे
होते रहे लापता।
बहुत चालाक और मक्कार था
वो आदिम विद्वान
जिसने मकड़ी को अपना आदर्श चुना,
और हमारी बुद्धि के इर्द-गिर्द
एक जाल बुना।
हमें दे दिया
एक काल्पनिक महाशक्ति का
गलत पता,
और हम तलाशते, तलाशते, तलाशते रहे
होते रहे लापता।