बड़े इत्मीनान से
निगलते जा रहे हैं
हमें मकान
हम तान लेते हैं मौत
हर रोज़
उनकी आँत में
हम कैसे तोड़ेंगे
यह लाक्षागृह ?
बड़े इत्मीनान से
निगलते जा रहे हैं
हमें मकान
हम तान लेते हैं मौत
हर रोज़
उनकी आँत में
हम कैसे तोड़ेंगे
यह लाक्षागृह ?