Last modified on 7 जनवरी 2009, at 13:51

मकान / विजयदेव नारायण साही

धीरे-धीरे यह मकान गिर रहा है
आज रात ऊपर से एक ईंट गिरी
खड़खड़ाहट की ध्वनि
मुझे डरा गई ।