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मक्खनमलाई / अनुभूति गुप्ता

मक्खनमलाई, मक्खनमलाई,
तू लगती है दूध मलाई!

ठेले वाले बाबा आये,
गोलू मोलू सबको भाये!

मीठी-मीठी दूध-मलाई
सबको अच्छी लगती है,
मुँह में रखते ही घुलती है!

खा लो जी भरकर,
बाबा गोलू मोलू से कहते हैं!
यहीं पास की झोपड़ में
बाबा भी रहते हैं!

रोज सवेरे मटका भरकर,
बाबा इसको लाते हैं!
गोलू मोलू को बाबा जी,
मीठा रोज खिलाते हैं!