♦ रचनाकार: अज्ञात
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मचिया बइठल तू अम्मा तो सुनहूँ बचन मोरा हे।
ललना हम लिपबई भाभी के सउरिया कंगनबाँ लेई लेबइन हे।
सउरी पइसल तुहूँ बहुआ त सुनहूँ बचन मोरा हे।
ललना दई देहूँ धिया के कंगनवा, धिया देस दूर बसे हे।
कंगनवे कारन पिया देश गेलन अउरो विदेस गेलन हे।
ललना न देबइन ननदी कंगनवाँ, ननदिय देस-दूर बसे हे।
चुप रह चुप रह बहिनी, त सुनहूँ बचन मोरा हे।
हम करबो दूसर बिआह कंगनवाँ हम दिलाई देबो हे।
इतना बचनियाँ धनियाँ सुनलन, सुनहूँ न पौलन हे।
ललना झटसिन फेंकले कंगनवाँ अंगनवाँ बीच हे।
ललना ल न छिनरियो कंगनवाँ सवतिया बनके रहहूँ न हे।