♦ रचनाकार: अज्ञात
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मचिया बैसल हे कोसिका,
भितिया अंगुठल
दीनानाथ के वटिया हेरै छै ।
कहँमा से भागवै हे कोसी
चानन के लकड़िया
कहाँ से मंगेवै सूतिहार ।
मोरंग से मंगेवै हे कोसिका
चानन लकड़िया
तिरहुत से मंगेवै सूतिहार ।
कथी से छेवैवे हे कोसिका
चानन के लकड़िया
कथी से छेवैवे हे कोसिका
पैर के खड़म ।
आरी से छेवैवे हे कोसिका
चानन के लकड़िया
बसुला से छेवैवे हे कोसिका
पैर के खड़म ।
कहाँ गेल किअ भेल
दीनानाथ दुलरूआ
पीन्हि लिअ पैर के खड़म ।।