बच्चे --
बोल री मछली ! बोल री मछली ! कितना-कितना पानी ?
डुबकी लेकर हमें बता दे नदिया की दीवानी ।
मछली --
घाट-किनारे घुटनों-घुटनों बीच धार लासानी ।
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।
बच्चे --
कैसे पार करें यह नदिया, हम बालक बेचारे ?
मछली --
पानी में मत घुसना वर्ना डूब जाओगे सारे ।
ले लो नाव किसी नाविक से धारा है तूफ़ानी
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।
बच्चे --
हम थलवासी तुम जलवासी दोनों हैं मस्ताने ।
अलग-अलग दोनों की दुनिया अलग-अलग अफ़साने ।
मछली --
इसीलिए कहती, पानी से करना मत शैतानी ।
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।