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मठ धारी मोहनपुरी / मानसिंह राठौड़

गाँव गाँव में गान,तपोभूमि तारातरो ।
संतों हंदी शान,मठधारी मोहनपुरी ।।

धरमपुरी रो ध्यान,सेवा करता साँवठी।
खीमत हंदी खान,मठधारी मोहनपुरी।।

आये आदरमान,आशीर्वाद ज आपरो।
गावै सब जस गान,मठधारी मोहनपुरी ।

मोटे डूंगर मांय,तपसीड़ो इक तापियो ।
नेमी ऐड़ो नांय,मठधारी मोहनपुरी ।।

आन राखै अकूत,संतो हंदी साधना ।
अमर हुआ अवधूत,मठधारी मोहनपुरी ।

देखी धारोधार,बोली फळती बापजी ।
ईस तणा अवतार,मठधारी मोहनपुरी ।

मास फालगुन मांय,भंडारों भल आपरो ।
दीजो दर्शन आय,मठधारी मोहनपुरी ।।

मगरे रोवै मोर,हिंयो सब जन हारिया ।
अवधू हुवै न और,मठधारी मोहनपुरी ।।

पद सोंप्यो परताप,आप सिधाया अलख घर।
परचा है अणमाप,मठधारी मोहनपुरी।

संतन सांचो जाण,परम शिष प्रतापसी।
पाई जग पहिचांण,मठधारी मोहनपुरी ।।

बिड़दां तणा बखाण,अलख धणी हे! आपरा ।
महिमा गावै 'मान',मठधारी मोहनपुरी ।।