गाँव गाँव में गान,तपोभूमि तारातरो ।
संतों हंदी शान,मठधारी मोहनपुरी ।।
धरमपुरी रो ध्यान,सेवा करता साँवठी।
खीमत हंदी खान,मठधारी मोहनपुरी।।
आये आदरमान,आशीर्वाद ज आपरो।
गावै सब जस गान,मठधारी मोहनपुरी ।
मोटे डूंगर मांय,तपसीड़ो इक तापियो ।
नेमी ऐड़ो नांय,मठधारी मोहनपुरी ।।
आन राखै अकूत,संतो हंदी साधना ।
अमर हुआ अवधूत,मठधारी मोहनपुरी ।
देखी धारोधार,बोली फळती बापजी ।
ईस तणा अवतार,मठधारी मोहनपुरी ।
मास फालगुन मांय,भंडारों भल आपरो ।
दीजो दर्शन आय,मठधारी मोहनपुरी ।।
मगरे रोवै मोर,हिंयो सब जन हारिया ।
अवधू हुवै न और,मठधारी मोहनपुरी ।।
पद सोंप्यो परताप,आप सिधाया अलख घर।
परचा है अणमाप,मठधारी मोहनपुरी।
संतन सांचो जाण,परम शिष प्रतापसी।
पाई जग पहिचांण,मठधारी मोहनपुरी ।।
बिड़दां तणा बखाण,अलख धणी हे! आपरा ।
महिमा गावै 'मान',मठधारी मोहनपुरी ।।