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मड़वा डगमग खरही बिनु / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मड़वा डगमग<ref>हिल-डोल</ref> खरही<ref>मूँजपत्र, एक प्रकार की घास</ref> बिनु, कलसा पुरहर बिनु हे।
मन मोरे डगमग नइहर बिनु, अप्पन सहोदर बिनु हे॥1॥
मड़वहिं बइठल गोतिया लोग, भनसा<ref>रसोईघर</ref> गोतिनिया लोग हे।
तइयो नहीं मन मोरा हुलसल<ref>उल्लसित</ref> अप्पन नइहर बिनु हे॥2॥
इयरी पियरी कइसे पेन्हब, अप्पन नइहर बिनु हे।
चउका चनन कइसे बइठब, अप्पन जयल<ref>जायल, सन्तान</ref> बिनु हे।
अरप दरप<ref>अभिमानपूर्ण, दर्पपूर्ण</ref> कइसे बोलब, अप्पन पुरुख बिनु हे॥3॥

शब्दार्थ
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