Last modified on 27 जुलाई 2016, at 03:41

मत टटोलो उदासी को / भावना मिश्र

मत टटोलो उदासी को
इसकी नीव में बैठा दुःख
एक बहरूपिया है
हर बार धर लेता है
एक नई शक्ल

और हम बेज़ार होते हैं ये सोचकर
कि हज़ार कारण हैं हमारे पास
जी भर के रो लेने को
दुःख से उत्सर्ग में

नहीं है सुख की कुंजी
दुःख तो मकान की
इकलौती खिड़की है
जो बारबार लौटा लाती है
जीवन की ओर