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मदभरी यामिनी हो गयी / रंजना वर्मा

मदभरी यामिनी हो गयी
हर तरफ चाँदनी हो गयी

बाँसुरी जब अधर पर धरी
प्रीति की रागिनी हो गयी

रूप घनश्याम का देखकर
मुग्ध हर कामिनी हो गयी

शिव दिखे जब उसे स्वप्न में
गिरि - सुता भामिनी हो गयी

छू गयी राधिका की चुनर
लो हवा चन्दनी हो गयी

साँवरे के बिना सूर्यजा
हर लहर अनमनी हो गयी

चाँद हँसने गगन में लगा
अब बहुत रोशनी हो गयी