मधुमक्खी कितनी प्यारी तुम ।
मेहनत से न डरती हो तुम ।।
फूलों से रस चूस-चूस कर ।
कितना मीठा शहद बनाती ।।
भांति-भांति के फूलों पर तुम ।
सुबह-सवेरे ही मंडराती ।।
वैद्य और विद्वान तुम्हारे ।
मधु के गुण गाते हैं सारे ।।
ख़ुद न चखती खाती हो तुम ।
मधुमक्खी मुझे भाती हो तुम ।।