उसने मेरा नाम नहीं पूछा
मेरा काम नहीं पूछा
पूछी एक बात
क्या है मेरी जात
मैंने कहा-इंसान
उसके चेहरे पर उभर आई
एक कुटिल मुस्कान
उसने तेजी से किया अट्टहास
उस अट्टहास में था
मेरे उपहास का
एक लंबा इतिहास
1988, पतंग और चरखड़ी