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मनुष्य/ चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

मनुष्य (कविता अंश)

स्वार्थ छोड़ यदि प्रेम भाव वह अपना लेता
यदि अपने भाई को भी वह जीने देता
जाने इस निराश पृथ्वी को क्या कर देता।
(मनुष्य कविता का अंश)