हम्में आय सिंगार रचैबै ।
पूरा होलै अरमान मनोॅ के
मन बगिया में बसन्त ऐलै
साजन ऐलोॅ छै मधुमासोॅ में
हुनका दिलोॅ केॅ रिझैबै,
हम्में आय सिंगार रचैबै ।
जै रस्ता पर हुनीं चली केॅ ऐलै
वै पर आपनोॅ पलक बिछैबै,
जै मांटी पर पड़लै चरन पिया के
वै पर आपनोॅ सीस झुकैबै,
हम्में आय सिंगार रचैबै ।
माथा पर चन्दा के बिन्दिया
चुनरी पर तारा छपबैबै
उषाकाल के लाली लेॅ केॅ
हम्में आपनोॅ ठोर रंगैबै,
हम्में आय सिंगार रचैबै ।
कारी बदरिया के काजल लेॅकेॅ
प्यासलोॅ अंगिया में हम्में लगैबै,
संध्या बेला के गुलाबी लेॅ केॅ
हम्में आपनोॅ गाल सजैबै,
हम्में आय सिंगार रचैबै ।