स्वप्नों की
समिधाएं लेकर
मन्त्र पढ़ें कुछ वैदिक,
अभिशापित
नैतिकता के घर
आओ हवन करें।।
शमित सूर्य
सा बोझिल तर्पण
आयासित सम्बोधन,
आवेशित
कुछ घनी चुप्पियां
निरानन्द आवाहन।
निराकार
साकार व्यवस्थित
ईश्वर का अन्वेषण,
अंतरिक्ष
के पृष्ठों पर भी
क्षैतिज चयन करें।।
आरोपित
आलम्बित हर क्षण
आशाओं के आसन,
शापित
अनुरोधों का ही अब
होता है निष्पादन,
त्रुटियों का
विश्लेषण करतीं
आहत मनोव्यथाएँ,
अर्थहीन
वाचन की पद्धति
चिन्तन-मनन करें।।
बरगद के नीचे
पौधों का
टूट रहा सम्मोहन,
भोजपत्र की
देवनागरी
लिपि जैसा है जीवन।
संस्कृत-सूक्ति
विवेचन-दर्शन
सूत्र-न्याय सम्प्रेषण,
नैसर्गिक
व्याकरण व्यवस्था
बौद्धिक यजन करें।।