जब-तक
जीना चाहा
हमने;
ख़ूब जिये !
मानों
वर्षा में भी
जलते रहे दिये !
नहीं किसी की
रही कृपा,
जूझे -
अपने बल पर
विश्वास किये !
जब-तक
जीना चाहा
हमने;
ख़ूब जिये !
मानों
वर्षा में भी
जलते रहे दिये !
नहीं किसी की
रही कृपा,
जूझे -
अपने बल पर
विश्वास किये !