सुखात नदी जस
मन उदास बा I
असरा के चान पर
लागल बा गरहन,
सपना के पाँखी प
घाव भइल बड़हन,
डेगे डेग पसरल
खाली पियास बा I
आँखी के बागी में
पतझड़ के राज बा,
मन के मुंडेरा प
गिर रहल गाज बा,
उदासी के गरल से
भरल गिलास बा I
हँसी के फूल प
उगल आइल शूल,
ख़ुशी के खेत में
जामल बबूल,
केकरा के कहीं गैर
के आपन ख़ास बा I