मन करता है
लौट जाऊं वापस
दौड़कर पहुंचूं फ़िर वहीं
संभाल कर अपने को
देखूं, जानूं-
सूरज, हवा, समय को
और पुन: शुरु करुं अपनी यात्रा
रखूं पांव जतन से
अपने मनचाहे भविष्य में
इस अनचाहे वर्तमान को टालने के लिए
मन करता है
लौट जाऊं वापस
दौड़कर पहुंचूं फ़िर वहीं
संभाल कर अपने को
देखूं, जानूं-
सूरज, हवा, समय को
और पुन: शुरु करुं अपनी यात्रा
रखूं पांव जतन से
अपने मनचाहे भविष्य में
इस अनचाहे वर्तमान को टालने के लिए