Last modified on 30 मई 2018, at 17:00

मन मछळी / मोहम्मद सद्दीक

तिरयां मिरयां भरी तळाई
लैरां पूगी दूरम दूर
कण-कण
जळ में होवणी लागी
मद मातो जोबन भरपूर।।

मन मछली रो मोल
सरोवर में कुण लेवै तोल
हरख री हद बिसरावै-रै
पताळां पल में जावै-रे
मन गरणाा वै तन सरणा वै
सांस-समीरो गावै लूर।।
कवळै कवळै काळजियै में
हवळी हवळी हूक उठै
सांवणियै रै लोर सरीसी
कोयल बैणी कूक उठै
मन गरणावै तन सरणावै
सांस-समीरो गावै लूर।।
कोरै कोरै काजळिये री
रेख सरीसा दो चितराम
खिलै कंवळ री कोरां माथै
भोर सरीसी एक ललाम
मन गरणावै तन सरणावै
सांस समीरो गावै लूर।।
अध मुंदियोड़ा नैण-नैण
अै-बैरी है या सेण
सेन स्यूं मन बिलमावै-रे
हेत रा हाथ रचा वै-रे
मन गरणावै वै तन सरणावै
सांस समीरो गावै लूर
तिरयां मिरयां भरी तळाई
लैरां पूगी दूरम दूर
जळ में कण कण होवण लागी
मत माती जोबन भरपूर।।