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मन मेरा हरसिंगार / ओम निश्चल

प्रियवर यश मालवीय के लिए
 
मन मेरा हरसिंगार
बाँझ नहीं होगा ।

बचपन से झेले जो
अनगिनत झमेले जो
चोट उन्हें क्या होगी
पत्थर से खेले जो
हीरा तो हीरा है काँच नहीं होगा ।
मन मेरा हरसिंगार ।

नागफनी के थाले
पोर-पोर में पाले
चुभन उसे क्या होगी
मन ही मन जो गा ले
काँटों का दंश कभी याद नहीं होगा ।
मन मेरा हरसिंगार ।
 
पलकों पर मन ही मन
बोएँगे चन्दन वन
दूध के जले हम सब
इस कदर नहीं कमसिन
फूँक-फूँक पीना अब छाछ नहीं होगा ।
मन मेरा हरसिंगार ।

युग-युग तक चमकेंगे
हम जैसे स्नेह-सीप
सम्बन्धों के प्रतीक
होंगे आकाशदीप
पत्थर-सा सुधियों का ताज नहीं होगा ।
मन मेरा हरसिंगार ।