मेह
आंधी
दिन अर रात
एक टांग
नी रैवे खड़्यौ
लोभी मिनख
भंवतो फिरै
खेत-घर
घर-खेत
खेत में ऊभौ कर
मन रो लोभ
अड़वै रै मिस।
मेह
आंधी
दिन अर रात
एक टांग
नी रैवे खड़्यौ
लोभी मिनख
भंवतो फिरै
खेत-घर
घर-खेत
खेत में ऊभौ कर
मन रो लोभ
अड़वै रै मिस।