लाड़ प्यार का समंदर माँ
मोह ममता का मंदिर माँ
अच्छी-अच्छी बात बताती
लोरी गाए सुलाए माँ
धमकाती जब करें शरारत
रूठें तब पुचकारें माँ
माँ कहने से मुंह भर आता
हृदय नेह सरसाए माँ
मनुज भले बुढ़ा हो जाए
उसे समझती बच्चा माँ
सारे तीर्थ-धाम वहीं पर
जिस घर में मुस्काए माँ
माँ सम नही जगत में दूजा
परमेश्वर भी पूजे माँ
अनुवाद : राजेश्वरी पारीक ‘‘मीना’’