रात में देखो झील का चेहरा किस कदर पाक,पुर्सुकुं,गमगीं कोई साया नहीं है पानी पर कोई सिलवट नहीं है आँखों में नीन्द आ जाये दर्द को जैसे जैसे मरियम उडाद बैठी हो जैसे चेहरा हटाके चेहरे का सिर्फ एहसास रख दिया हो वहाँ