समतल नहीं होगा कयामत तक
पूरे मुल्क की छाती पर ऐला मलबा
ऊबड़-खाबड़ ही रह जाएगा यह प्रसंग
इबादतगाह की आख़िरी अज़ान
विक्षिप्त अनंत तक पुकारती हुई ।
समतल नहीं होगा कयामत तक
पूरे मुल्क की छाती पर ऐला मलबा
ऊबड़-खाबड़ ही रह जाएगा यह प्रसंग
इबादतगाह की आख़िरी अज़ान
विक्षिप्त अनंत तक पुकारती हुई ।