मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मलिया जे सूतल कोठापर
मालिन बेटी सूतू दरबार हे
दौड़ल जाथिन दुलहा से फल्लां दुलहा
मौड़ी देहु जायब बरिआत हे
आरसी मीड़िया उड़ेहिए मालिन बेटी
झलकैत जायत ससुरारि
आरसी मोड़िया कहियो ने उरेहल
कोनाकऽ देब बनाय हे
काते काते दिहे मालिन हीरा ओ मोती
बीचे-बीचे सिया सुकुमारि हे
एते दिन बुझै छलौं राजाजी के बेटबा
आइ बुलझल दशरथ के लाल हे