चौहत्तर साल की वह निष्कम्प लौ
एकाएक काँपी
और
उसने चश्मा लगा लिया
जरा देखें
सुरों के बाहर भी है
क्या कोई दुनिया?
चौहत्तर साल की वह निष्कम्प लौ
एकाएक काँपी
और
उसने चश्मा लगा लिया
जरा देखें
सुरों के बाहर भी है
क्या कोई दुनिया?