खिलता है हर लम्हा
तुम-सा
मुर्झा कर झर जाता
मुझ-सा
कुछ नहीं बोलता है
पेड़—
महका देता केवल
झर गए फूल की
ख़ुशबू
खिलते फूल में चुपचाप ।
—
3 जुलाई 2009
खिलता है हर लम्हा
तुम-सा
मुर्झा कर झर जाता
मुझ-सा
कुछ नहीं बोलता है
पेड़—
महका देता केवल
झर गए फूल की
ख़ुशबू
खिलते फूल में चुपचाप ।
—
3 जुलाई 2009