महफ़िल में आज उनकी,
कुछ यूँ अंजाम होना है !
जैसे कत्ल मेरा सर-ए-आम होना है!
महफ़िल-ए-रौनक में बस
परवाने को बदनाम होना है !
महफ़िल में आज उनकी...!
क़त्ल और कातिल दोनों में
मेरा ही एक नाम होना है !
महफ़िल में आज उनकी...!
अदाएं ही कुछ ऐसी हैं, यार की,
यही हश्र-ए- अंजाम होना है !
महफ़िल में आज उनकी...!