कौन से उज्जवल
भविष्य की खातिर
हम पड़े हैं—
महानगर के इस
बदबूदार घुटनयुक्त
वातावरण में।
जहाँ साँस लेने पर
टी०बी० होने का खतरा है
जहाँ अस्थमा भी
बुजुर्गों से विरासत में मिलता है
और मिलती है
क़र्ज़ के भारी पर्वत तले
दबी सहमी-सहमी-सी
खोखली ज़िन्दगी।
और देखे जा सकते हैं
भरी जवानी में पिचके गाल/ धंसी आँखें
सिगरेट सी पतली टांगें
खिजाब से काले किये सफेद बाल
हरियाली-प्रकृति के नाम पर
दूर-दूर तक फैला
कंकरीट के मकानों का विस्तृत जंगल
कोलतार की सड़कें
बदनाम कोठों में हंसता एच०आई०वी०
और अधिक सोच-विचार करने पर
कैंसर जैसा महारोग... गिफ्ट में।