रक्त बहाया मुगलों का, हल्दी घाटी को लाल किया,
दाँत तोड़ डाले मुग़लों के, अकबर को बेहाल किया,
उसके केवल नाम मात्र से, अकबर काँपा करता था,
बब्बर शेर महाराणा ने, ऐसा गजब कमाल किया॥
जिसे देख कर मुग़लों के, चेहरे पड़ जाते पीले थे,
भारत माँ के दुश्मन जिसने, सारे जीवन लीले थे,
उस प्रताप से अकबर हरदम, थर-थर-थर थर्राता था,
आताताई मुगलों के, उसने ही गुर्दे छीले थे॥
मुग़लों का मस्तक हाथों में, भींच-भींच कर फ़ोड़ दिया,
हड्डी का चूरन कर डाला, दाँतों को भी तोड़ दिया,
जिसके भीषण अत्याचारों, से सारे जन डरते थे,
महाराणा प्रताप ने उस अक़बर का दम्भ निचोड़ दिया॥
जिसकी तलवारों ने मुग़लों, का जीवन हर डाला था,
शत्रु मस्तक फोड़ा करता, महाराणा का भाला था,
उसके नाम मात्र से अकबर, का पेशाब छूटता था,
बब्बर शेर महाराणा का, युद्ध प्रयाण निराला था॥
जिसे देख पर मुगलों के, चेहरे पीले पड़ जाते थे,
भारत माँ के दुश्मन जिससे, हर क्षण ही घबराते थे
सुनकर नाम महाराणा, उनका पेशाब छूटता था,
बादशाह और सैनिक सारे, थर-थर-थर-थर्राते थे॥
यह दिखलाया क्या ताकत है, भारतीयों की लाठी में,
मुगलों को दिखलाया, क्या उबाल है अपनी माटी में,
लोहू भरी हुई मिट्टी, बलिदानी याद दिलाती है,
महाराणा का नाम गूँजता, अब भी हल्दीघाटी में॥