महावीर जी के पहचान
जे कहलाबै छै हलुमान
आय तलुक भी छिकै वहीना
नै अबिहों बढ़लोॅ छै ज्ञान
नंगा उछलै कूदै छै सब
नै कोय घर नैं ठोर-ठिकान
पलक झपकतें रौंदी देथौं
बाग बगिच्चा आ उद्यान
नै दत्तन से मूंहें धोय छै
बरखा में करथौं असनान
खी-खीं, कट-कट, खों, खों, खों
छन में यहाँ खने प्रस्थान
नीन कभी आबै तेॅ झूपै
गाछ प बैठी करै बिहान
हाथ गोड़ मुख बाल सें भरलो
पूंछ पर होकरा बड़ी गुमान
बंदर होय छै लाल मुहों के
करिया मुख होय छै हलुमान
राम भक्त बजरंगबली छै
परम भक्त ज्ञानी हनुमान