महिला अगर चाहे त घर के संवार देई
महिला अगर चाहे त घर के बिगार देई
पढ़ल लिखल महिला गर केहू के घर होई
पढ़ा लिखा लइकन के जिनिगी सुधार देई।।
पढ़ल लिखल घर घर में सभके जरूरी बा
भले ऊ घूमि-घूमि करत मजूरी बा
दुनिया गइल चान पर हम अंगूठा छाप
समय के साथ अब चलल मजबूरी बा।।
बिना पानी क फसल खेत क जे तरे सूख जाई
ओही तरे बिना नारी क नाम समाज से बूत जाई
नारी सभकर माई बनि के घर-संसार बसावेली
ए माई क महिमा आगे सभकर माथा झुक जाई।।
बिनु जसोदा किसन ना होइहें बिन कोसिल्या राम
केकरा गोदी वीर सिवाजी होइहें अउर बलराम
केहू क गोदी वीर भगत, नेता सुवास जी होइहें
केहू क गोदी होइहें नेहरू, गांधी खूदीराम।।